खूल सकती है, गाँठे बस जरा सी जतन से,
पर लोग कैचियाँ चला कर, सारा फ़साना बदल देते है ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खूल सकती है, गाँठे बस जरा सी जतन से,
पर लोग कैचियाँ चला कर, सारा फ़साना बदल देते है ।
मै सो रहा था ओढ के चादर नसीब की,
घर की ज़रूरतों ने अचानक जगा दिया..
माना के मुमकिन नहीं तेरा, मेरा एक हो जाना !
पर सुना है इस दुनिया में चमत्कार बहुत होते हैं !
आइना होती है ये जिंदगी ..
तू मुस्कुरा, वो भी मुस्कुरा देगी ।।
कुछ ऐसे हो गए हैं.. इस दौर के रिश्ते..!
जो आवाज़ तुम ना दो.. तो बोलते वो भी नही..!
अंदर से तो कब के मर चुके है हम,
ए मौत तू भी आजा लोग सबूत मांगते है !!
लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए..
और हम कहते है कि आदमी का जमीर होना चाहिए……..?
तहजीब की मिसाल गरीबो के घर पे है…
दुपट्टा फटा हुआ है लेकिन सर पे है ..!!
है परेशानियाँ यूँ तो, बहुत सी ज़िंदगी में….
तेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता….
पस्त हौंसले वाले, तेरा साथ क्या देंगे
जिंदगी!! इधर आ जा, हम तुझे गुज़ारेंगे|