हमने तो बेवफा के

हमने तो बेवफा के भी दिल से वफ़ा किया
इसी सादगी को देखकर सबने दगा किया
मेरी टिशनगी तो पी गयी हर जख्म के आँसू
गर्दिश मे आके हमने अपना घर बना लिया |

उन परिंदो को

उन परिंदो को क़ैद करना मेरी फ़ितरत में नही…

जो मेरे पिंजरे में रह कर दूसरो के साथ उधना पसंद करते है…!!!

झाँक रहे है

झाँक रहे है इधर उधर सब,

अपने अंदर झांकें कौन ,

ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां,

अपने मन में ताके कौन..

जमीर का फ़क़ीर

जमीर का फ़क़ीर ना सही,
बेअक्ल या सग़ीर नहीं हूँ मैं ।

दौलत से अमीर ख़ुदा ने नवाजा नहीं,
मगर दिल का गरीब नहीं हूँ मैं |