कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए |
Category: शायरी
अचानक चौँक उठे
अचानक चौँक उठे निँद से हम,
किसी ने शरारत से कह दिया सुनो वो मिलने आये है..
हवाएँ बाज कहा आती हैं
हवाएँ बाज कहा आती हैं शरारत से
सरो पे हाथ न रखे तो पगड़ियाँ उड़ जाये |
मैं तिनके सा
मैं तिनके सा बहा जा रहा हूँ ..
जाने मैं कहाँ जा रहा हूँ …
पूछो इस दिल से
पूछो इस दिल से की मैं तुम्हे कितना याद करता हूँ,
पागल सी हो गई है वो कलम जिससे मैं तेरा नाम लिखता हूँ..!!
कोशिश भी मत करना
कोशिश भी मत करना, मुझे संभालने की अब तुम,
बेहिसाब टूटा हुं, जी भर के बिखर जाने दो मुझे..!!
कुछ कमियाँ बता कर
कुछ न कुछ कमियाँ बता कर, निगाहों से गिराती है।
दुनियां नेक नीयत पर भी, उँगलियाँ अब उठाती हैं.!!
हर शख्स नही होता
हर शख्स नही होता हर
शख्स के काबिल …
.
हर शख्स को अपने लिए
सोचा नही करते
चलो अब मैंने प्रेम की
चलो अब मैंने प्रेम की डोर खोल दी…
जिससे बांधा था तुम्हे…
अगर वो मेरा है…तो मेरे पास लौट आएगा…
अगर न लौटा…तो वो मेरा कभी था ही नही…!!!
कोई सुलह करा दे
कोई सुलह करा दे,
बड़ी तलब लगी है, मुस्कुराने कि…