जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है,
मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है,
किसी और की बात रास नहीं आती,
दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है,
मानता है बस दलीले उनकी,
ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है,
यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है,
कि अपनी खैरियत भूल कर भी सो जाता है,
खुदा की नमाज भी भूल कर बैठा है,
कुछ इस कदर बद्सलूक हो जाता है,
जब दिल की गिरफ्त मे हो कोई,
जाने क्या से क्या हो जाता है…
Category: शायरी
छलका तो था
छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!
कितने संगदिल हैं
कितने संगदिल हैं वो, मुझे बेज़ार रुलाने वाले…
देखो चैन से सो रहे हैं मुझे उम्र भर जगाने वाले…
ये जो मेरे दिल की
ये जो मेरे दिल की लगी है…
बस यही तो बर्बाद ज़िंदगी है…
हम ही उस के
हम ही उस के इश्क़ के क़ाबिल न थे
क्यूँ किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिए|
चल पडी है
चल पडी है मेरी दुआए असर करने को….
तुम बस मेरे होने की तैयारी कर लो…!!
मुझे ज़िंदगी दूर रखती है
मुझे ज़िंदगी दूर रखती है तुझ से
जो तू पास हो तो उसे दूर कर दूँ|
कितना आसाँ था
कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जानाँ फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते|
गुमान न कर
गुमान न कर अपनी खुशनसीबी का..
नशीबी मे होगा तो तुझे भी इश्क होगा..
हमारे ऐतबार की हद
मत पुछ हमारे ऐतबार की हद तेरे एक इशारे पे..
हम काग़ज़ की कश्ती ले कर समंदर में उतर गये थे..