जिंदा रहने की कोशिश में
हम जाने कितना मरते हैं|
Category: शायरी
सफ़र शुरू कर दिया है
सफ़र शुरू कर दिया है मैंने,
बहोत जल्द तुमसे दूर चला जाऊँगा|
पता नहीं होश में
पता नहीं होश में हूँ या बेहोश हूँ मैं,
पर बहोत सोच समझकर खामोश हूँ मैं…
समर्थन और विरोध
समर्थन और विरोध केवल,
विचारों का होना चाहिये किसी व्यक्ति का नहीं…
कपड़ों का महकाना
इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं हे,
मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबु आये|
अपनी बाँहों में ले के
अपनी बाँहों में ले के सोता हूँ.
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मैंने तकिये का नाम ‘तुम’ रखा है
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उम्र भर चलते रहे
उम्र भर चलते रहे मगर कंधो पे आए कब्र तक,
बस कुछ कदम के वास्ते गैरों का अहसान हो गया..!!.
कोई भी ढांक सका न
कोई भी ढांक सका न, वफा का नंगा बदन
ये भिखारन तो हजारों घरों से गुजरी है।।
जब से ‘सूरज’ की धूप, दोपहर बनी मुझपे
मेरी परछाई, मुझसे फासलों से गुजरी है…
ये महज़ इत्तेफाक है
ये महज़ इत्तेफाक है,या मेरी खता…
आज फ़िर किसी को ‘भा’ गया हूँ मैं !
एक चादर साँझ ने
एक चादर साँझ ने जिंदगी पर डाल दी तो क्या,
यह अँधेरे की सड़क भोर तक जाती तो जरूर है..!!