घर पहुँचता है कोई और हमारे जैसा
हम तेरे शहर से जाते हुए मर जाते हैं !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
घर पहुँचता है कोई और हमारे जैसा
हम तेरे शहर से जाते हुए मर जाते हैं !
उदासी लिए चले आये
हम दुआ दे के मुस्कुराने की|
सारे शोर महफ़िल के दब गए तेरी पाज़ेब की रुनझुन से!!
इक तेरा आना महफ़िल में सारे हंगामों पे भारी हो गया
आओ एक बार साथ मुस्कुरा लें….
फिर ना जाने ज़िन्दगी कहाँ ले जाये …!!!
मेरी बेजुबां आँखों से गिरे हैं चंद कतरे…
वो समझ सके तो आँसू ,ना समझ सके तो पानी |
मुहब्बत उठ गयी दोनों घरों से….!!
सुना है एक ख़त पकड़ा गया है….!!
जब से तुम्हारी नाम की मिसरी होंठ लगायी है
मीठा सा ग़म है, और मीठी सी तन्हाई है|
मेरी खूबी पर रहती है मेरे अपनों की जुबां खामोश..
चर्चा मेरे ऐबों पर हो तो गूँगे भी बोल पङते हैं
ख्वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिये, जनाब;
खर्चा बहुत होता है, मंजिलों को पाने में!
आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया |