एक बार और देखकर आज़ाद करदे मुझे…
…
के आज भी तेरी
पहली नज़र में कैद हूँ मैं ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एक बार और देखकर आज़ाद करदे मुझे…
…
के आज भी तेरी
पहली नज़र में कैद हूँ मैं ।
कुछ ख्वाब देखे,फिर ख्वाहिश बनी,अब यादें है…
किसी उदास मौसम में,
मेरी आँखों पे वो हाथ रख दे
अपना,
और हसती हुई कह दे,
पहचान लो तो हम तुम्हारे
ना पहचानो तो तुम
हुमारे..
मैं वहाँ जाकर भी मांग लूंगा तुझे,,,
कोई
बताये तो फैसले कुदरत के कहाँ होते है..
सुकून से जीने का तरीका, ये भी है
लोगों की परवाह छोड़ खुदगर्ज़ बन जा..
Ek mehboob
beparwaah , ek mohbbat bepanaah…..
Dono kaafi
hain sukoon barbaad karne ko…….
“प्रशंसक” आपको बेशक पहचानते होंगे मगर “शुभचिन्तकों” को आपको पहचानना पड़ेगा.
अकेले ही गुज़रती है ज़िन्दगी।
लोग तसल्लियां तो देते हैं,
पर साथ नहीं।।
अपनी तो यारो बस इतनी सी कहानी है;
कुछ तो खुद से ही बर्बाद थे;
कुछ इश्क की मेहरबानी है।
सस्ता न समझ ये इश्क़ का सौदा पगली..
तेरी हँसी के बदले पूरी जिंदगी दे रहा हूँ..!”