लफ्जों में भी कई बार लोग बेईमानी कर जातें हैं।
दुनिया वाले हम दिलवालों का तमाशा बना देते हैं।।”
Category: शर्म शायरी
खिलाफत मे ज़िंदगी
खिलाफत मे ज़िंदगी की ये हश्र भी हो गया,
मकबरा तो बही है पर मुर्दों ने,कब्रस्तान बदल दिये,
दर्द दिल का
दर्द दिल का कैसे बयाँ करे भला अल्फाजो में हम
वो लफ्ज कहाँ से लायें जिसमे समा जायें सब गम”
अल्फ़ाज़ मैला कर दिया
हर भूख हर प्यास
हर मतलब को प्यार बताकर
लोगों ने यह अल्फ़ाज़ मैला कर दिया”
सिर्फ दिल ही है
दुनिया में सिर्फ दिल ही है जो बिना आराम किये काम
करता है….
इसलिए उसे खुश रखो ,चाहे वो अपना हो या अपनों का…!!!
बड़ी इबादत से पुछा
बड़ी इबादत से पुछा था मैंने उस खुदा से जन्नत
का पता,,,,,थककर नींद आयी तो खुदा ने
माँ की गौद में सुला दिया !!!
विश्वास ज्यादा हो
रिश्ते वो होते हैं, जिसमे शब्द कम और समझ ज्यादा हो; जिसमे तकरार कम और प्यार ज्यादा हो; जिसमे आशा कम और विश्वास ज्यादा हो।
पसंद करने लगे हैं
कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे;
मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं।
ज़ख़्म इतने गहरे हैं
ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें;
हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें;
मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें;
अब इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें।
जितना क़रीब था..
मिलना था इत्तेफ़ाक़, बिछरना नसीब था…वो इतना दूर हो गया जितना क़रीब था..