यूँ ही आँखें किसी की नम नहीं होतीं। दिल टूटता है पहले, फिर बनते हैं मोती।
Category: शर्म शायरी
दर्द मीठा हो तो
दर्द मीठा हो तो रुक -रुक के कसक होती है, याद गहरी हो तो थम -थम के करार आता है।
लफ़्ज लफ़्ज जिसका
लफ़्ज लफ़्ज जिसका खुशनूमां बोलता हैं समझ लो वोह शख्स उर्दू जुबां बोलता है
दिल की बातें
दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत
मैं आदमी हूँ
मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया….
अब जी के बहलने की
अब जी के बहलने की है एक यही सूरत बीती हुई कुछ बातें हम याद करें फिर से
शेर ओ रूमान
शेर ओ रूमान के वो ख़्वाब कहाँ हैं तेरे वो नुक़ूश-ए-गुल-ओ-महताब कहाँ हैं तेरे
सुनो यही तो
सुनो यही तो प्यार होता है ना जब कोई जीने लगता हैं किसी और के जिस्म में रूह बनकर
ये जो ख़ामोश से
ये जो ख़ामोश से अल्फ़ाज़ लिखे हैं मैंने, कभी ध्यान से पढ़ना, चीखते कमाल है।
वक्त की सीढ़ियों पे
वक्त की सीढ़ियों पे उम्र तेज चलती है जवां रहोगे कोई शौक पाल कर रक्खो