सिर्फ़…. तुम ही हो
मेरे मुस्कुराने की वज़ह
बाक़ी तो सबको मेरा दर्द पसंद है !!
Category: शर्म शायरी
खौफ अब खत्म हुआ
खौफ अब खत्म हुआ सबसे जुदा होने का..
अपनी तन्हाई में हम अब मसरूफ बहुत रहते हैं..
दहेज़ में तुम सिर्फ मेरे लिए
दहेज़ में तुम सिर्फ मेरे लिए अपनी
मोहब्बत लाना
हक़.ऐ महेर में तुमको हम अपनी
जिंदगी देंगे
कानों में डाल कर
कानों में डाल कर, मोतियों के फूल;
सोने का भाव उसने गिराया, अभी- अभी!
कौन कहता है
कौन कहता है दुआओ के लिए हाथो की जरुरत होती है कभी अपनी माँ की आँखों में झांक करके देखिये हुज़ूर
वो अनजान चला है
वो अनजान चला है, जन्नत को पाऩे के खातिर,
बेखबर को इत्तला कर दो कि माँ-बाप घर पर ही है..
देख कर उसको
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,…..
नफरत बता रही है
तूने मोहब्बत गज़ब की थी.
सूखे पत्तो की तरह
सूखे पत्तो की तरह बिखरा हुआ था मै,,
किसी ने बड़े प्यार से समेटा, और फिर आग लगा दी..!
तुमने कहा भुल जाओ
तुमने कहा भुल जाओ मुझे… हम पुछते है कोन हो तुम…
सुनो.. ना किया करो
सुनो..
ना किया करो इतनी मोहब्बत हमसे..
कि मुझे खुद की फ़िक्र करने की आदत पड़ जाये..