ताल्लुक़ कौन रखता है
किसी नाकाम से…!
लेकिन, मिले जो कामयाबी
सारे रिश्ते बोल पड़ते हैं…!
मेरी खूबी पे रहते हैं यहां,
अहल-ए-ज़बां ख़ामोश…!
मेरे ऐबों पे चर्चा हो तो,
गूंगे बोल पड़ते हैं…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ताल्लुक़ कौन रखता है
किसी नाकाम से…!
लेकिन, मिले जो कामयाबी
सारे रिश्ते बोल पड़ते हैं…!
मेरी खूबी पे रहते हैं यहां,
अहल-ए-ज़बां ख़ामोश…!
मेरे ऐबों पे चर्चा हो तो,
गूंगे बोल पड़ते हैं…!!
जो भी आता है बताता है नया कोई इलाज
बट न जाए तिरा बीमार मसीहाओं में
ख़्वाबों को इश्क़ का एक जहाँ देते है,
चलो के अब नींद को आँखों में पनाह देते है…
आज कितने खुश थे वो एक अजनबी के साथ में…
मुझ पर नज़र पड़ी तो…. मायूस हो गये……
मुफ़लिस के बदन को भी है चादर की ज़रूरत,
अब खुल के मज़ारों पर ये ऐलान किया जाए..!!
जिसके लिए लिखता हूँ आज कल वो कहती हैं अच्छा लिखते हो… उनको सुनाऊँगी….
बदन तो खुश हैँ खुद पर रेशमी कपड़ो को पाकर
मग़र ज़मीर रो रहा हैं की मैं बिक गया कैसे…..
मजबूर किया तुमने नज़र अंदाज़ करने पर
वरना हम तो तेरे हर अंदाज पर तेरी नज़र उतारा करते थे…..
बदन की क़ैद से बाहर,ठिकाना चाहता है
अजीब दिल है,कहीं और जाना चाहता है|
मैं इस दिल में सबको आने देता हूँ ,
पर कभी शक मत करना क्युकि जहाँ तुम रहती हो वहाँ में किसी को जाने भी नहीं देता…!!