सहम सी गयी है ख्वाइशें..
जरूरतों ने शायद उनसे….ऊँची आवाज़ में बात की होगी।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सहम सी गयी है ख्वाइशें..
जरूरतों ने शायद उनसे….ऊँची आवाज़ में बात की होगी।
होता है अगर तो होने दो, मेरे क़त्ल का सौदा,मालूम तो हो, बाज़ार में क्या कीमत* है मेरी..
लतीफे छेड़ कर मैं अपनी माँ को जब हंसाता हूँ
मुझे महसूस होता है कि जन्नत मुस्कुराती है
हो सके तो रहना… तुम साथ मेरे हो बुरे या अच्छे… हालात मेरे
कभी साथ बैठो तो कहूँ क्या दर्द है मेरा..अब तुम दूर से पूछोगे तो सब बढ़िया ही कहूँगा…
कहाँ मिलता है कोई दिल से चाहने वाला जनाब
यहाँ समझोतों पर सब रिश्ते चल रहे है|
अगर गुलाब देने से मोहबत हो जाया करती, तो आज माली सारे शहर भर का यार होता।
जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..
बाहें डाल कर , मेरी गर्दन तो नाप ली,
अब फन्दे मोहब्बत के , बनाना शुरू करो..!
गुनाहगार को इतना. पता तो होता हैं
ज़हा कोई नही होता खुदा तो होता हैं|