इज़ाज़त हो तो लिफाफे में रख कर, कुछ वक़्त भेज दूं……
सुना है कुछ लोगों को फुर्सत नहीं है, अपनों को याद करने की!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इज़ाज़त हो तो लिफाफे में रख कर, कुछ वक़्त भेज दूं……
सुना है कुछ लोगों को फुर्सत नहीं है, अपनों को याद करने की!
कब आ रहे हो मुलाकात के लिये.
हमने चाँद रोका है एक रात के लिय|
मेरे शहर मे खुदाओं की कमी नही दिक्कत तो मुझे
आज भी इन्सान ढूंढने मे आती है..!!
अपनी बाँहों में ले के सोता हूँ,
मैंने तकिये का नाम ‘तुम’ रखा है..
हमें मालूम है हम से सुनो महशर में क्या होगासब उस को देखते होंगे वो हम को देखता होगा।।
तू है…यादें हैं…और ग़म भी हैं…..
इन सब में…..थोड़े से…हम भी हैं…
कुछ नहीं मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर..
मेरा अपना साया भी धूप में आने से मिला…!
लाख कसमें ले लो किसीसे,
छोड़ने वाले छोड़ ही जाते है !!
सीख कर गयी है वो मोहब्बत मुझसे
जिससे भी करेगी बेमिसाल करेगी..!!
मेरे होंठों पे दिखावे का तबस्सुम है मगर
मेरी आंखों में उदासी के दिए जलते हैं|