आज कल…की नादानी भी सच मे बेमिसाल हे..
अंधेरा दिल?मे है और लोग दिये मन्दिरों मे जलाते हैं…
Category: शर्म
सच्चाई बस मेरी
सच्चाई बस मेरी खामोशी में है….
शब्द तो में लोगो के अनुसार बदल लेता हु….
अंदाज कुछ अलग
अंदाज कुछ अलग है,
मेरे सोचने का….
सब को मंजिल का शौक है
और मुझे रास्तो का…
तुम मेरा नाम
शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी, नाज़ से काम क्यूँ नही लेती…
…
आप, वो, जी, मगर…ये सब क्या है, तुम मेरा नाम क्यूँ नही लेतीं ।
उसकी जुस्तुजू उसका
उसकी जुस्तुजू उसका इंतज़ार और अकेलापन,
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थक कर मुस्कुरा देता हु जब रोया नहीं जाता