ख़ाक से बढ़कर कोई दौलत नहीं होती, छोटी मोटी बात पे हिज़रत नहीं होती। पहले दीप जलें तो चर्चे होते थे, अब शहर जलें तो हैरत नहीं होती।
Category: वक़्त शायरी
मजबूरी का मजाक
किसी की मजबूरी का मजाक ना बनाओ यारों, ज़िन्दगी कभी मौका देती है तो कभी धोखा भी देती है।
इतना शौक मत रखो
इतना शौक मत रखो इन इश्क की गलियों में जाने का, क़सम से रास्ता जाने का है पर आने का नहीं।
फिर कोई मोड़ लेने वाली है
फिर कोई मोड़ लेने वाली है ज़िन्दगी शायद, अब के फिर हवाओं में एक बे-करारी है।
न जाने कब
न जाने कब खर्च हो गये, पता ही न चला, वो लम्हे, जो छुपाकर रखे थे जीने के लिये।
नसीब में नही होता
जिनका मिलना नसीब में नही होता। उनसे मुलाक़ात कमाल की होती है।
दौलत की दीवार में
दौलत की दीवार में तब्दील रिश्ते कर दिये, देखते ही देखते भाई मेरा पडोसी हो गया।
और थोड़ा सा
और थोड़ा सा बिखर जाऊँ ..यही ठानी है….!!! ज़िंदगी…!!! मैं ने अभी हार कहाँ मानी है….
दुनिया से बेखबर
दुनिया से बेखबर चल कही दूर निकल जाये
ख़ुदकुशी करने वाले
ख़ुदकुशी करने वाले को इक भरम ये है… जो भी होगा उसके बाद सब अच्छा होगा…!!