वो भी आधी रात

वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी ……

फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग …. ?

यह परिणाम है

कदम निरंतर बढते जिनके , श्रम जिनका अविराम है ,
विजय सुनिश्चित होती उनकी , घोषित यह परिणाम है !