तुम से बेहतर तो तुम्हारी निगाहें थीं,
कम से कम बातें तो किया करतीं थीं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम से बेहतर तो तुम्हारी निगाहें थीं,
कम से कम बातें तो किया करतीं थीं…
कहाँ खर्च करूँ , अपने दिल की दौलत…
सब यहाँ भरी जेबों को सलाम करते हैं…
आँखों से पानी गिरता है , तो गिरने
दीजिये…
कोई पुरानी तमन्ना पिघल
रही होगी…
मुकद्दर एक रोज जरुर बदलेगा बस इतना कर,
जिस्म मैं दौड़ते लहू को माथे
का पसीना बना दे
शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी;
पर जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नही….
हार की परवाह करता,तो मै जीतना छोड़ देता…लेकिन “जीत” मेरी ‘जिद’ है,और जिद का मै बादशाह हूँ…!
भूख मिटाने की खातिर,
हमने सपने बेच दिये…?
माँ ने कुछ पैसे, आटे के डिब्बे में छुपाए थे…..
ख्वाब कुछ मेरे ,ऐसे पकाए थे.
बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है
तुम कहां थे कहां रहे साहेब
आज होगा हिसाब बरसों में