हर बात पे रंजिश, हर बात๑☆╮
पे हिसाब ______
╰✰๑लगता है मैंने इश्क नहीं๑☆╮
नोकरी कर ली
Category: वक़्त शायरी
बहुत थक जाता है
बहुत थक जाता है इंसान आशक़ी के बाजार में
इश्क के हिस्से में भी एक इतवार आना चाइये
मनुष्य के स्वभाव
सुधरना-बिगडना मनुष्य के स्वभाव पर निर्भर करता है
ना की माहौल पर l
रामायण में दो पात्र हैं
विभीषण और कैकयी !
ंविभीषण रावण के राज्य में रह कर के भी नही बिगडा
और
कैकयी राम के राज्य में रहकर भी नही सुधरी l
मैं अपनी चाहतों
मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बेठ जाऊ तुम
तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लोटा सकोगे …
जब भी दर्द दिया
उसे पता था कि उसकी हसी मुझे पसन्द है..
इस्लिये उसने जब भी दर्द दिया मुस्कुराकर दिया..!!
बस दो आँखें….
किसी ने पूछा कौन याद आता है अक्सर तन्हाई में.
हमने कहा कुछ पुराने रास्ते खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें….!!
गुजारा कर लेती है
चीखकर हर जिद पूरी करवाता है
इकलौता बेटा!!
मगर बिटिया गुजारा कर लेती है टूटी पायल
जोड़कर!!!
प्यार से इस्तीफा
तुम नफरतो के धरने पर कयामत तक बैठो
मै अपने प्यार से इस्तीफा कभी नही दूंगा.!!!
जी न सके हम
यूँ तो जी रहे है सारी उम्र जीनी है लेकिन,
जीने की तरह जी न सके हम..।।
सारी बरकत है
जलने वालों की दुआ से ही सारी बरकत है….वरना…
अपना कहने वाले लोग तो याद भी नहीं करते….!!!!