किसी गरीब को मत सताना। वो तो बस रो देगा पर…
उपरवाले ने सुन लिया तो तू अपनी हस्ती खो देंगा..
Category: वक़्त शायरी
कुछ दिन के लिए
कुछ दिन के लिए रूठ के अच्छा किया हुजूर…
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जितने अधूरे काम थे,निपटा दिए हमने………
दोस्तों से भरे
तू देख कि तुझसे इश्क करने में मुझे कैसे जीना पड़ गया
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दोस्तों से भरे शहर में दीवारों से लिपट कर रोना पड़ गया
Aye Jindagi Kash
KYA KHUB LIKHA HAI KISINE……..
”Aye Jindagi Kash Tu Hi Ruth Jati Mujhse…….
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Kyoki…….
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Ye Ruthe Hue Log Ab Mujhse Manaye Nahi
Jaate……….
आज मौसम ने भी
आज मौसम ने भी की बचकानी हरकत दो बून्द
कशिश के साथ बस एहसास दिलाकर
चला गया..
महसूस कुछ यूँ हुआ कि वो पास आकर
चला गया..!!
बहुत रोकना चाहा
बहुत रोकना चाहा पर रोक ना सका खुद को,
ये कमबक्त मोहब्बत भी गुनाहों जैसी है……….
वक़्त रहता नहीं
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
इसकी आदत भी आदमी सी है.
लहरो को छुने तक
मेरे बस मे हो तो लहरो को इतना हक़भी ना दू … लिखु नाम तेरा किनारे पे और लहरो को छुने तक ना दू !
छुपा लो इस
छुपा लो इस तरह से मुझे अपनी बाहो मेँ
कि
हवा को भी गुजरने की इजाजत लेनी पडेँ
pyaas bhujhane ke liye
Tere hontho ko chuma to ye ehsaas hua mujhe…Ki ek paani hi nahi hai pyaas bhujhane ke liye…!!