कतरा-कतरा हम

कतरा-कतरा हम यू ही जिया करते है…,

ऐ जिंदगी…,

वक़्त ने मारा है हम को…,
फिर भी वक़्त की क़दर किया करते है…!!

जिंदगी के उसूल

जिंदगी के उसूल भी
कबड्डी के खेल की तरह है…,
जैसे ही सफलता की लाईन को छूते है ,
लोग लग जाते है पीछे खीचने मे !!!

मैं तो बस

मैं तो बस युही गुनगुना रहा था…..”कभी जो बादल बरसे”…
.खुदा ने तो सीरियस्ली
ले लिया….!!!!

एक नफरत ही हैं

एक नफरत ही हैं जिसे दुनिया चंद लम्हों में जान लेती हैं..

वरना चाहत का यकीन दिलाने में तो जिन्दगी बीत जाती हैं.