ये मुहब्बत की तोहीन है…
चाँद देखूँ तुम्हें देखकर…
Category: वक़्त शायरी
चूम लेता है
चूम लेता है झूठे तमगे
जीत के भी हार जाता है
मौत तो कई दफा होती है
जनाजा मगर एक बार जाता है|
मिल सके आसानी से
मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है … जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!!!!
अक्सर वही रिश्ते टूट जाते हैं…
अक्सर वही रिश्ते टूट जाते हैं….
जिसे सम्भालनें की अकेले कोशिश की जाती है…
टपकती है निगाहों से
टपकती है निगाहों से, बरसती है अदाओं से,
कौन कहता है मोहब्बत पहचानी नहीं जाती|
क़ैद ख़ानें हैं
क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के…कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के…
तुझ से दूर रहकर
तुझ से दूर रहकर मोहब्बत बढती जा रही है,क्या कहूँ, केसे कहूँ, ये दुरी तुझे और करीब ला रही है..
तुझे अपनी खूबसूरती पर
तुझे अपनी खूबसूरती पर इतना गुरूर क्यों है
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लगता है तेरा आधार कार्ड अभी तक बना नही
सख़्त हाथों से
सख़्त हाथों से भी छूट जाते हैं हाथ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं ।
क्या करना करेडों का
क्या करना करेडों का, जब अरबो का बापू साथ है ।