मेरी झोली में कुछ अल्फाज अपनी दुआओं के डाल दे ऐ दोस्त,
क्या पता तेरे लब हिलें,और मेरी तक़दीर संवर जाये…!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी झोली में कुछ अल्फाज अपनी दुआओं के डाल दे ऐ दोस्त,
क्या पता तेरे लब हिलें,और मेरी तक़दीर संवर जाये…!!!
लोगो ने कुछ दिया, तो सुनाया भी बहुत कुछ !!
ऐ खुदा…
एक तेरा ही दर है, जहा कभी ताना नहीं मिला ..
सजदों में भीगती है जिनकी आखे वो लोग छोटी बातो पर रोया नहीं करते |
अजीब हैं इस दुनिया का दस्तूर…
लोग इतनी जल्दी बात नहीं मानते,
जितनी जल्दी बुरा मान जाते हैं..!
इंसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती,
आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…
न जाने किसका मुक़द्दर संवरने वाला है
वो किताब में एक चिट्ठी छुपा के निकली है|
लोग कहते हैं कि वक़्त किसी का ग़ुलाम नहीं होता
फिर तेरी मुस्कराहट पे वक़्त क्यूँ थम सा जाता है|
मैं चरागों की भला कैसे हिफाज़त करता ,
वक़्त सूरज को भी हर रोज़ बुझा देता है..
हुस्न भी तेरा,
अदाएं भी तेरी,
नखरे भी तेरे,
शोखियाँ भी तेरी,
कम से कम इश्क़ तो मेरा रहने दे…
तेरी खूबसूरती जैसे ….
बारिश के बाद पत्तों पर ठहरा हुआ पानी …..