बहुत शौक था सब को जोङ के रखने का !
होश तब आया जब अपने वजूद के टुकङे देखे !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बहुत शौक था सब को जोङ के रखने का !
होश तब आया जब अपने वजूद के टुकङे देखे !!
परेशानियों ने भी क्या खूब याद रखा मेरे घर का पता….
बस ये खुशिया ही है जो आवारा निकली…
बड़ा अजीब होता है मोहब्बत का खेल,
एक थक जाये तो दोनों हार जाते हैं।
तेरी एक झलक पाने को
तरस जाता है दिल मेरा….!
खुश किस्मत हैं वो लोग
जो तेरे घर के सामने रहते है..!!
तुम्हारे हँसने की वजह बनना चाहता हूँ ,
बस इतना हैं तुमसे कहना………
कभी साथ बैठो तो कहूँ की क्या दर्द है मेरा……
तुम दूर से पूछोगे तो खैरियत ही कहेगे …
आओ बताता हूँ…
अपने दर्द कॊ क्यों नही दर्शाता हूँ…
साहेब घर चलाना पड़ता है…
इसलिए हर अपमान अपना सह जाता हूँ…
समंदर ने कहा मुझको बचा लो डूबने से…
मैं किनारे पे समन्दर लगा के आया हूँ…
उसके जैसी कोई दूसरी कैसे हो सकती है,
अब तो वो खुद भी खुद के जैसी नहीं रही !!
अगर समझ पाते तुम मेरी चाहत की इन्तेहा तो,
हम तुमसे नही, तुम हमसे मुहब्बत करते… !!