हजारों हैं मेरे अल्फाज के दिवाने,
मेरी खामोशी सुनने वाला कोई होता तो क्या बात थी….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हजारों हैं मेरे अल्फाज के दिवाने,
मेरी खामोशी सुनने वाला कोई होता तो क्या बात थी….
मुझे बस इतना बता दो. इंतजार करु या बदल जाऊ तुम्हारी तरह.
उसी से पुछ लो उसके इश्क़ की कीमत ,हम तो बस भरोसे पे बिक गए.
ये मत सोचो तुम छोङ दोगे तो हम मर जायेँगे ,वो भी जी रहे है जिनको तेरी खातिर हमने छोङा था .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .
हमने गुज़रे हुए लम्हों का हवाला जो दिया,हँस के वो कहने लगे रात गई बात गई.
दबे होंठों को बनाया है सहारा अपना….
सुना है कम बोलने से बहुतकुछ सुलझ जाता है….???
तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है, आखरी सास तक तेरा इंतजार करू !
उससे दुरी बनाये रखता भी तो कैसे रखता,
ए दोस्त…
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मैं जन्मजात चरसी और वो, गोल्डफ्लैक
सी लड़की.
बड़ा ही खामोश सा अँदाज है तुम्हारा…..
?
समझ नही आता फिदा हो जाऊँ या फनाह हो जाऊँ…..
~❤?