पता है … लाश पानी में क्यों तैरती हैं …??
क्योंकि डुबने के लिए जिंदगी चाहिए
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
पता है … लाश पानी में क्यों तैरती हैं …??
क्योंकि डुबने के लिए जिंदगी चाहिए
ये क्यों कहे दिन आजकल अपने खराब हैं,
काटों से घिर गये हैं, समझ लो गुलाब हैं।
कर रहा हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ…. की मंजिल भी मिलेगी … सब आज़माइशों के बाद…
हज़ारों मिठाइयाँ चखी हैं मैंने
लेकिन ख़ुशी के आंसू से मीठा कुछ भी नहीं..
मै सपने नही देखता . . .
क्योकी अक्सर मै जो हकीकत मे करता हु . . .
वो लोगो के सपने हुआ करते है . . .
अजीब सी बस्ती में ठिकाना है
मेरा जहाँ लोग मिलते कम,
झांकते ज़्यादा है…
अपने जलने मे किसी को नही करता शरीक !!
रात होते ही शमा को बुझा देता हूँ मै !!
मोहब्बत से फतैह करो लोगो के दिलो को,
जरुरी तो नही सिकन्दर की तरह तलवार रखी जाये.
हमारे इश्क की तो बस इतनी सी कहानी हैं:
तुम बिछड गए.. हम बिख़र गए..
तुम मिले नहीं.. और हम किसी और के हुए नही
Mohabbat ke kaafile ko kuch der to rok lo
aate hain hum bhi paanv se kaante nikaalkar