खूबसूरती देखने वाले की आँखों में थी ।
आईना यूँ ही करता रहा ख़ुद पे ग़ुरूर उम्र भर ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खूबसूरती देखने वाले की आँखों में थी ।
आईना यूँ ही करता रहा ख़ुद पे ग़ुरूर उम्र भर ।
रहती है छाँव क्यों मेरे आँगन में थोड़ी देर,
इस जुर्म पर पड़ोस का वो पेड़ कट गया
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है ………..
इश्क़ की आख़िरी हदों में हूँ राख़ हूँ और जल नहीं सकता !
आईना देख कर वो,मुस्कुरा के बोली……
बे-मौत मरेंगे……
मुझ पर मरने वाले…
कितना मुश्किल है ज़िन्दगी का ये सफ़र;
खुदा ने मरना हराम किया, लोगों ने जीना
ना जाने बदलो के बीच, कैसी साजिश हुयी …..
मेरा घर था मिटटी का, मेरे ही घर बारिश हुयी
मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा;
जिनका दावा था वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा।
लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ;
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।
इश्क़ और तबियत का कोई भरोसा नहीं,
मिजाज़ से दोनों ही दगाबाज़ है, जनाब।