रो रहे थे

रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर

रोने लगा
वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी

वक्त ने कई

वक्त ने कई जख्म भर दिए, मै भी बहुत कुछ भूल चुका

हूँ..
पर किताबों पर धूल जमने से कहानियाँ कहाँ बदलती है..