समेट कर ले जाओ

समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से

अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी।

नेता नहीं होते

कभी मंदिर पे बैठते हैं कभी मस्जिद पे …!!
ये मुमकिन है इसलिए क्योंकि परिंदों में नेता नहीं होते

बुजदिलो के हाथो में

बुलबुल के परो में बाज नहीं होते ,,
कमजोर और बुजदिलो के हाथो में राज नहीं होते,,

जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत,,
दोस्तों उन “सिरों” पर कभी “ताज” नहीं होते।

कुछ पल के लिए

कुछ पल के लिए ही अपनी गोद में सुला लो ए जान,
आँख खुले तो उठा देना और ना खुले तो दफना देना…॥