कच्ची-सी सरहद

मैं रहता इस तरफ़ हूँ यार की दीवार के लेकिन
मेरा साया अभी दीवार के उस पार गिरता है

बड़ी कच्ची-सी सरहद एक अपने जिस्मों-जां की हैं

सामने आए मेरे

सामने आए मेरे, देखा मुझे , बात भी की
मुस्कुराये भी, पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर

कल का अख़बार था, बस देख लिया, रख भी दिया

जब उसने मुझसे

जब उसने मुझसे कहा तुम्हारे दोस्त अच्छे नहीं।।।तब हम थोडा मुस्कुराये ओर कहा के, पगली तेरी इतनी तो “औकात” नहीं की तु मेरे दोस्तों की “औकात” बता सके।।।दिल तुझे दीया हैं लेकिन “जान” आज भी “दोस्तो” के लिए ही है।।।।।

मजबूरियाँ पे न हँसिये

किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता…

डरिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता…

अकल कितनी भी तेज ह़ो,
नसीब के बिना नही जित सकती..

बिरबल अकलमंद होने के बावजूद,
कभी बादशाह नही बन सका !!!