अपना ही चेहरा

बीवी, बच्चे, सड़कें, दफ्तर और तनख्वाह के चक्कर में
मैं घर से अपना ही चेहरा पढ़कर जाना भूल गया

यहीं रही है

यहीं रही है यहीं रहेगी ये शानो शौकत ज़मीन दौलत
फकीर हो या नवाब सबको, कफन वही ढाई गज मिला है

किसी शहर के

किसी शहर के सगे नहीं हैं ये चहचहाते हुए परिंदे
तभी तलक ये करें बसेरा दरख्‍़त जब तक हरा भरा है

तुमको देखा तो

तुमको देखा तो फिर उसको ना देखा
हमने….!!
चाँद कहता रहा कई बार कि मैं चाँद हूं, मैं
चाँद हूँ….!!