सुन कर ग़ज़ल

सुन कर ग़ज़ल मेरी,
वो अंदाज़ बदल कर बोले,

कोई छीनो कलम इससे,
ये तो जान ले रहा है..

दिल भी आज

दील भी आज मुझे ये कह कर डरा रहा है,
करो याद उसे वरना मै धड़कना छोड़ दूँगा !!

हम को भी

हम को भी चैन कि नींद आयेगी एक दिन,
एक दिन हम भी ज़मीन ओढ़ कर सो जायेंगे