जाओ जा कर ढून्ढो हम से ज्यादा चाहने वाला
मिल जाये तो खुश रहना
न मिले तो फिर भी तेरे हैं हम..!!
Category: व्यंग्य शायरी
क्यूँ तलाश करते हो
बहाना क्यूँ तलाश करते हो रूठ जाने का …
बस इतना कह देते के दिल में जगह नहीं है…!
कदर करलो उनकी
कदर करलो उनकी जो तुमसे
बिना मतलब की चाहत करते हैं…
दुनिया में ख्याल रखने वाले कम और
तकलीफ देने वाले ज़्यादा होते है..!
ज़िंदा हो गयी
ख़ुदकुशी लिखी थी एक बेवा के चेहरे पर मगर
फिर वो ज़िंदा हो गयी बच्चा बिलकता देख कर
आज तेरे दिल से
हम जैसे बर्बाद दिलों का क्या जीना और क्या
‘मरना’..
आज तेरे दिल से निकले है;
कल इस दुनिया से निकल जायेंगे..!
दीवारे रोती रहती है
कल रात अपने सारे दुःख कमरे की दीवारों से कह डाले..
अब मैं सोता रहता हूँ और दीवारे रोती रहती है
खाते हुए देखा मैने
रूखी रोटी को भी बाँट के खाते हुए देखा मैने…
सड़क किनारे का वो भिखारी शहंशाहों से भी अम़ीर निकला……..
ज़रा चमकता है
हर ज़रा चमकता है परवर दिगार से
हर साँस ये कहती है हम हैं तो ख़ुदा भी हे
वो किसी का
एहसान वो किसी का लेते नहीं, मेरा भी चुका दिया,
जितना भी खाया था नमक, मेरे ज़ख्मो पे लगा दिया…!!
कोई नष्ट नहीं कर सकता
लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता,
बस उसका जंग उसे नष्ट करता है।
इसी तरह आदमी को भी कोई और नहीं बल्कि उसकी नकारात्मक सोच ही नष्ट करती है।