जरा सी बात पे बरसों के याराने गए, चलो अच्छा हुआ कुछ लोग तो पहचाने गए।
Category: व्यंग्य शायरी
ज़माने के लिये
अशार मेरे यूँ तो ज़माने के लिये हैं
कुछ शेर फ़क़त उनको सुनाने के लिये हे
आसमाँ भर गया
आसमाँ भर गया परिंदों से
पेड़ कोई हरा गिरा होगा
एक ज़माना हो गया
यूँ तो कटे हुए उस पेड़ को एक ज़माना हो गया,
मगर ढूँढने अपना ठिकाना, एक परिंदा रोज आता है
यूँ तो गलत नही
यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के,
लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है .
ना जाने कौन
ना जाने कौन प्यासा उठ गया है.. इस जहाँ से,
जिसे खोजने के लिए बूंदों के सैलाब आ रहे है।।
ना शौक दीदार का
ना शौक दीदार का… ना फिक्र जुदाई की,
बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो…मोहब्बत नहीँ करतेँ
जब कोई किसी को
कहते है की जब कोई किसी को बहुत याद करता है तो तारा टूट के गिरता है,
एक दिन सारा आसमान खाली हो जायेगा
और इल्ज़ाम हमारे सर आयेगा..
याद रूकती नहीं रोक पाने से
याद रूकती नहीं रोक पाने से …..
दिल मानता नहीं किसी के समझाने से …
रुक जाती हैं धड़कनें आपके भूल जाने से …..
इसलिए आपको याद करते हैं जीने के बहाने से …
जिनका मिलना नही होता
जिनका मिलना नही होता किस्मत
मे….
उनकी यादें कसम से कमाल की होती
है|