वहाँ तक तो साथ चलो ,जहाँ तक साथ मुमकिन है , जहाँ हालात बदल जाएँ , वहाँ तुम भी बदल जाना …
Category: व्यंग्य शायरी
जिस कदर मेरी
जिस कदर मेरी ख्वाहिशों की पतंग उड़ रही है, एक न एक दिन कटकर लूट ही जानी है|
आँधियों जाओ अब करो
आँधियों जाओ अब करो आराम, हम खुद अपना दिया बुझा बैठे
बदल जाती हो तुम …
बदल जाती हो तुम कुछ पल साथ बिताने के बाद…… यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा…
समंदर बेबसी अपनी
समंदर बेबसी अपनी किसीसे कह नहीं सकता, हजारों मील तक फैला है फिर भी बह नहीं सकता !!
कुछ तो सम्भाला होता..
कुछ तो सम्भाला होता…. मुझे भी खो दिया तुमने…..
वक़्त को मेरी फ़िक्र थी..
वक़्त को मेरी फ़िक्र थी.. उसे शायद ये पता नहीं था.. की वो भी गुज़र रहा है..!!
हमने तुम्हें उस दिन से
हमने तुम्हें उस दिन से और ज़्यादा चाहा है, जबसे मालूम हुआ के तुम हमारे होना नहीं चाहते..
सिर्फ पढने भर का
सिर्फ पढने भर का रिश्ता मत रखिये कभी खैरियत भी तो पूछ लिया कीजिये..!!
सारा बदन अजीब सी
सारा बदन अजीब सी खुशबु से भर गया… शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया…