अच्छे थे तो किसी ने हाल तक नहीं पूछा……!! बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चर्चे है….
Category: व्यंग्य शायरी
ज़िन्दगी की हकीकत
ज़िन्दगी की हकीकत को बस इतना जाना है..!!.
दर्द में अकेले हैं और ख़ुशी में जमाना है..!!
गगन तेरे लिए हूं
गगन तेरे लिए हूं मैं जमी मेरे लिए है तू।
हकीकत और ख्वाबों में ख़ुशी मेरे लिए है तू।
जमाना बेरहम है पर हकीकत जान ले ये भी,
बना तेरे लिए हूं मैं बनी मेरे लिए है तू।
बंधी है हाथ पे
बंधी है हाथ पे सब के घड़ियाँ मगर,
पकड़ में एक भी लम्हा नहीं..
उसे देखता ही
वो शायद किसी महंगे खिलौने सी थी…
मैं बेबस बच्चे सा उसे देखता ही रह गया…
मौसम का इशारा है
मौसम का इशारा है खुश रहने दो बच्चों को
मासूम मोहब्बत है फूलों कि खताओं में…
घरों पे नाम थे
घरों पे नाम थे
नामों के साथ औहदे थे
बहुत तलाश किया
कोई आदमी न मिला।
प्यार आज भी
प्यार आज भी तुझसे उतना ही है..
बस तुझे “एहसास” नही और हमने भी जताना छोड दिया…
वो अफसाना जिसे
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा……
कल बहस छिड़ी थी
कल बहस छिड़ी थी मयखाने में जाम कौन सा बेहतरीन है,
हमने तेरे होंठों का ज़िक्र किया और बहस ख़त्म हो गयी…