रहने दो अब कोशिशे , तुम मुझे पढ़ भी ना सकोगे..
बरसात में कागज की तरह भीग के मिट गया हूँ मैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रहने दो अब कोशिशे , तुम मुझे पढ़ भी ना सकोगे..
बरसात में कागज की तरह भीग के मिट गया हूँ मैं…
जीब लहजे में पूछी थी खैरियत उसने…जवाब देने से पहले छलक गई आँखें मेरी…
नज़र बन के कुछ इस क़दर
मुझको लग जाओ..!!
कोई पीर की फूँक
न पूजा न मन्तर काम आये….!!!!
उन्होंने बहुत कोशिश की,
मुझे मिट्टी में दबाने की
लेकिन उन्हें मालूम नहीं
था कि मैं “बीज” हूँ…..
शुक्र है ख़्वाबों ने रात सम्भाली हुई है
वरना.. नींद किसी काम की नहीं यारों ..
न दोज़ख़ से,न ख़ून की लाली से डर लगता है,
कौन हैं ये लोग,इनको क़व्वाली से डर लगता है।
तुम पुछते थे ना..कितना प्यार है मुझसे…
लो अब गीन लो … बूंदे बारिश की..!!!!
जोड़ियां आसमान से बनकर आती है।
मतलब काम तो ढंग से वहां भी नहीं होता ।।
इन्सान ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार ही मोहब्बत करता है …. बाकी की मोहबत्तें वो पहली मोहब्बत भुलाने के लिए करता है।
मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं है,
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चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए…