ज़िंदगी में आईना..जब भी उठाया करो…
पहले खुद देखो फिर दिखाया करो..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़िंदगी में आईना..जब भी उठाया करो…
पहले खुद देखो फिर दिखाया करो..
रिश्ते और नाते.. मतलब की पटरी पर चलने वाली वो रेलगाड़ी है,
जिसमे..जिस जिस का स्टेशन आता वो उतर जाता है !
निकाल दिया उसने हमें,
अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह,
ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
हमको मोहलत नहीं मिली वरना,ज़हर का ज़ायक़ा बताते हम…
जुल्फें खोली हैं उन्होंने आज
और….
सारा शहर
बादलों को दुआ दे रहा है…
मेरे इक अश्क़ की तलब थी उसको
मैंने बारिश को आँखों में बसा लिया |
उस की आँखों में नज़र आता है सारा जहाँ मुझ को;
अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा मैंने।
परवाह नहीं चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो,
चलूँगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो…!
कोई था दिल में,जो खो गया है शायद
वरना आईने में अश्क़ इतना धुन्धला ना होता..!!
बैठ कर किनारे पर मेरा दीदार ना कर मुझको समझना है तो समन्दर में उतर के देख !!