मैं पूछता रहा

मैं पूछता रहा

और फ़िर..
इस तरह

मिली वो मुझे सालों के बाद ।
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद ।।
मैं पूछता रहा उस

से ख़तायें अपनी ।
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद ।।

कितने कमज़ोर है

कितने कमज़ोर है यह गुब्बारे, चंद सासों में फूल जाते है,
बस ज़रा सी बुलंदिया पाकर, अपनी औकात भूल जाते है…

हसरतें मचल गयी

हसरतें मचल गयी जब तुमको सोचा एक पल के लिए;
सोचो दीवानगी तब क्या होगी,जब तुम मिलोगे मुझे उम्र भर के लिए…..