काला धन वापस आने में
अभी थोडा वक़्त लगेगा….
अभी तो गलत बाटे गए
पुरस्कार वापस आ रहे हैँ..!!
Category: व्यंग्य शायरी
मेरे सात बेठ के
मेरे सात बेठ के टाइम भी रोया एक दिन
केहने लगा बन्दा तु सही है मे हि खराब चल रहा हुं….
अवार्ड वापिस करने
अवार्ड वापिस करने वालों की
जरा गैस सब्सिडी तो चेक करना
वापिस की या नहीं !!
भूल सकते हो तो
भूल सकते हो तो भूल जाओ इजाज़त है तुम्हे,
ना भूल पाओ तो लौट आना,
एक और भूल की इजाज़त है तुम्हे…!
जो दिल को अच्छा लगता है
जो दिल को अच्छा लगता है उसी को दोस्त कहता हूँ ,
मुनाफ़ा देखकर रिश्तों की सियासत मै नही करता
अखबार तो रोज़
अखबार तो रोज़ आता है घर में,
बस अपनों की ख़बर नहीं आती…..
उम्र भी यूँ ही जीया
कोई तबीर (लंबी) उम्र भी यूँ ही जीया,
कोई जरा सी उम्र में इतिहास रच गया..
घोंसला बनाने में
घोंसला बनाने में… यूँ मशग़ूल हो गए..
उड़ने को पंख हैं… हम ये भी भूल गए…
मुझसे मत पूछा
मुझसे मत पूछा कर ठिकाना मेरा,
तुझ में ही लापता हूँ कहीं….
अब भी चले आते हैं ख्यालों में वो,
रोज लगती है हाजरी उस गैर हाजिर की….
भूले हैं रफ्ता रफ्ता
भूले हैं रफ्ता रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम
किश्तों में खुदकुशी का मजा़ हमसे पुछिए !!!!!