कसा हुआ हैं तीर हुस्न का ज़रा संभलके रहियेगा,
नज़र नज़र को मारेगी तो क़ातिल हमें ना कहियेगा…….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कसा हुआ हैं तीर हुस्न का ज़रा संभलके रहियेगा,
नज़र नज़र को मारेगी तो क़ातिल हमें ना कहियेगा…….
किसी के पास कुल्हाड़ी है क्या ?
दिन काटना है ….
इस बार की सर्दियों में ऐसा न होने
पाए …
चढ़ती रहें चादरें मज़ार पर
और
बाहर बैठा फ़क़ीर ठंड से मर जाए …!!
वो पतथर भी मारे तो उठा के झोलियाँ भर लूँ
कभी मोहब्बत के तोहफ़ो को लौटाया नही करते ।
कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब.!!
शायरियोँ मेँ अब तुम समाती नहीँ.!!
आ ज़ा फिर से मेरे ख्यालों में….कुछ बात करते हैं….
कल जहाँ खत्म हुई थी…वहीं से शुरुवात करते हैं…!!
Wafa fitrat me nahi teri Lekin,
Yakin hum behisaab tujhpe Kartey hai aaj bhi.
Tumne dekhi hi nahi hamari phoolon si wafa
Ham jis par khilte hain usi par murjha bhi jate hain…?
रिश्तों में गर्माहट बरकरार रखिए,
मौसम तो अभी और सर्द होगा..!!
हकीकत से बहुत दूर है ख्वाहिश मेरी…
फिर भी एक ख्वाहिश है,कि एक ख्वाब मेरा हकीकत हो जाए