कर रहा हूँ

कर रहा हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ…. की मंजिल भी मिलेगी … सब आज़माइशों के बाद…

मै सपने नही

मै सपने नही देखता . . .

क्योकी अक्सर मै जो हकीकत मे करता हु . . .

वो लोगो के सपने हुआ करते है . . .

हमारे इश्क की

हमारे इश्क की तो बस इतनी सी कहानी हैं:
तुम बिछड गए.. हम बिख़र गए..
तुम मिले नहीं.. और हम किसी और के हुए नही

खुल सकती हैं

खुल सकती हैं रुमाल की गांठें बस ज़रा से जतन से मगर,

लोग कैंचियां चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं.. !!!

अपना क्या है

जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ