लफ़्ज़ जब तक वज़ू नहीं करते
हम तेरी गुफ़्तगू नहीं करते
तू मिला है ऐसे लोगो को
जो तेरी आरज़ू नहीं करते
Category: व्यंग्य शायरी
शादी मे बहू
शादी मे बहू क्या लेकर आयी ये तो सब पुछते है
पर कभी ये सोचा वो क्या क्या छोड़ कर आयी है
सिर्फ चेहरा ही नहीं
सिर्फ चेहरा ही नहीं शख्सियत भी पहचानो ,
जिसमें दिखता हो वही आईना नहीं होता
दुआ कुबूल नहीं होती
किसी ने ग़ालिब से कहा
सुना है जो शराब पीते हैं उनकी दुआ कुबूल नहीं होती ….
ग़ालिब बोले: जिन्हें शराब मिल जाए उन्हें किसी दुआ की ज़रूरत नहीं होती
मैँ भी जिन्दा हूँ….
कितनी झुठी होती है, मोहब्बत की कस्मेँ….।”
देखो तुम भी जिन्दा हो, मैँ भी जिन्दा हूँ….॥
हर शख्स के पास
आग लगाने को कहो तो हर शख्स के पास
माचिस है
घर किसी का जले
तो पानी की कमी हो जाती है।।
इज़हार कर गयी…!!
एक मैं था जो थक गया, लफ्ज़ ढूंढ-ढूंढ कर,,
एक वो थी जो खरीदे हुए गुलाब देकर इज़हार कर गयी…!!
नींद के शौक़ीन
हम नींद के शौक़ीन ज्यादा तो नहीं लेकिन,
तेरे ख्वाब न देखूं तो गुज़ारा नहीं होता..
जिंदगी का खेल
जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार होता है,
लोग हारते भी है तो अपनी ही रानी से …
भीड़ का हिस्सा
यह दुनिया
इंसानों की बस्ती है फरिश्ता मत बन,
लोग पत्थर से तुझे मारेंगे
शीशा मत बन,
ऐसा कुछ कर कि सारा जमाना तुझे देखे,
अपनी
पहचान बना, भीड़ का हिस्सा मत बन..!