दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको,…..
…,हम तो आपं के रूठ जाने से डरते हैं…
Category: व्यंग्य शायरी
काश तुम भी
काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादों की तरह,न वख्त देखो,ना बहाना देखो,बस चले आओ !!
राख ही हुए हैं
अभी तो राख ही हुए हैं तुझे पाने की चाह में
अभी तो बिखरने का खेल बाकी है
मुझी को देख
मुझी को देख, कहाँ पर शिकस्त खायी है
अब इसके बाद तुझे शौक़ है तो हारे जा
सोचा था इस कदर
सोचा था इस कदर उनको भूल जाएँगे,
देखकर भी अनदेखा कर जाएँगे,
पर जब जब सामने आया उनका चेहरा,
सोचा एस बार देखले, अगली बार भूल जाएँगे…..
इस दुनिया मे
इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हे “और कितना वक़्त लगेगा”
सब कुछ पा लिया
सब कुछ पा लिया मैंने , पर वो तेरे मेंहदी लगे हाथ मेरे ना हो सके ।
नशा तो दरसल
नशा तो दरसल तुम्हारी बातों में
था… हम खामखाँ ही सिगरेट जलाते रहे…!!!
हँसकर दर्द छुपाने
हँसकर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर थी मेरी
पर कोई हुनर काम नहीं आता जब तेरा नाम आता
पर्दा हटा लिया
हमारा क़त्ल करने की उनकी साजिश तो देखो …. गुज़रे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया .