ढूंढ़ते रहे सब आसमानों पर चाँद को,
वो सोया हुआ था मेरी बाँहों में रात भर..
Category: व्यंग्यशायरी
वो क्या समझेगा
वो क्या समझेगा दिलों की नर्मियों को मेरे दोस्त.. चंद सिक्के चढ़ा कर जो खुदा के दर पर भी खुद को मग़रूर रखता है !
ज़ख्म देकर ना पूछा करो
ज़ख्म देकर ना पूछा करो दर्द की शिद्दत;
“दर्द तो दर्द ” होता है , थोड़ा क्या और ज्यादा क्या…!!
जान जब प्यारी थी
जान जब प्यारी थी……
तब दुश्मन हज़ार थे।
अब मरने का शौक है…..
तो कातिल नहीं मिलते ।
खुद ही मर जाऊँगा
खुद ही मर जाऊँगा वक्त आने पे, ए इश्क तू क्यूँ मेरा दुश्मन बना है !!
जीते हैं तेरा नाम लेकर
जीते हैं तेरा नाम लेकर, मरने के बाद क्या अंजाम होगा, कफ़न उठा के देख लेना मेरा, होठों पे तेरा ही नाम होगा !
ऐ खुदा बस
ऐ खुदा बस एक ही ख्वाईस है तेरे से । ये जो चैन से सौ रहे है ना इनको कभी इश्क का रोग मत लगाना ।।
कल क्या खूब इश्क़ से
कल क्या खूब इश्क़ से मैने बदला लिया, कागज़ पर लिखा इश्क़ और उसे ज़ला दिया..!!
जब आग की वादी में
जब आग की वादी में ठहरा है सफ़र करना
फिर मौत से क्या डरना फिर मौत से क्या डरना |
उसी को लिख लिख कर
उसी को लिख लिख कर मिटा रहा हूँ,जिसे मिटाकर आज तक कुछ लिखा नही मैंने।