मुझे भी शुमार करो

मुझे भी शुमार करो अब गुनहगारों की फेहरिस्त में,

मैं भी क़ातिल हूँ हसरतों का, मैंने भी ख्वाहिशों को मारा है…।

दौर वह आया है, कि कातिल की सज़ा कोई नहीं,
हर सज़ा उसके लिए है, जिसकी खता कोई नहीं|