टूटकर चाहना और फिर टूट जाना,
बात छोटी है मगर जान निकल जाती है…..
Category: वक्त-शायरी
ज़रा सी ढंग की रोटी
ज़रा सी ढंग की रोटी क्या मांग ली देश के सिपाही ने…
सरकार ने तो बन्दुक ही छीन ली…
तमाम लोगों को
तमाम लोगों को अपनी अपनी मंजिल मिल चुकी,
कमबख्त हमारा दिल है, कि अब भी सफर में है।
ठहर जाते तो शायद
ठहर जाते तो शायद मिल जाते हम तुम्हें,
इश्क मे इन्तजार किया करते हैं जल्दबाजी
नही…
छीनकर हाथों से
छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली,
कमी क्या है इन होठों में जो तुम शराब पीते हो।
भुला देंगे तुम्हे
भुला देंगे तुम्हे भी ज़रा सब्र तो कीजिये,
आपकी तरह मतलबी होने में थोडा वक़्त लगेगा
मेहरबान होकर बुला लो
मेहरबान होकर बुला लो मुझे किसी वक़्त,
मैं गया वक़्त नहीं कि फिर आ भी ना सकूँ…..
मुझे देखो न इस तरह
मुझे देखो न इस तरह गहरी निगाह से तुम….!!!
दिल डूबने सा लगता है मोहब्बत के ख्य्याल से
रंजिश ही सही
रंजिश ही सही , दिल को दुखाने के लिए आ,
आ फिर से मुझे , छोड़ जाने के लिए आ…..
जिस जिस ने
जिस जिस ने मुहब्बत में, अपने महबूब को खुदा कर दिया, खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए, उनको जुदा कर दिया