रूह तो जिसकी थी वो ले गया,जिस्म के दावेदार यहाँ हज़ारों हैं!
Category: वक्त-शायरी
ज़हर लगते हो
ज़हर लगते हो तुम मुझे जी करता है खा कर मर जाऊँ!
यादों की हवा
यादों की हवा चल रही है
शायद आँसुओं की बरसात होगी!
सन्नाटा छा गया
सन्नाटा छा गया बँटवारे के किस्से में,
जब माँ ने पूँछा- मैं हूँ किसके हिस्से में
आप हमें समझते है ……
हम वो नहीं जो आप हमें समझते है ……
हम वो है जो आप समझ ही नहीं पाते है …….
मैं पेड़ हूं
मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे ,फिर भी हवाओं से,,
बदलते नहीं रिश्ते मेरे
वो भी ना भूल पाई
वो भी ना भूल पाई होगी मुझे…
क्योंकि बुरा वक्त सबको याद रहता हैं।
जहाँ आपको लगे कि
जहाँ आपको लगे कि आपकी जरूरत नही है..
वहां ख़ामोशी से खुद को अलग कर लेना चाहिए!!
एक जुल्म ही तो है
एक जुल्म ही तो है इंसानों पर,
जिसे लोग मोहब्बत कहते है !!
माना उन तक पहुंचती
माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी,
मतलब ये तो नहीं कि, सुलगते नहीं हैं हम….!!!