वक़्त बीतने के बाद अक़्सर ये अहसास होता है,
जो अधूरी छूट गयीं, वो ख्वाहिशें ज्यादा बेहतर थीं।
Category: वक्त-शायरी
पसीने की स्याही से
पसीने की स्याही से जो लिखते है अपने इरादों को,
उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते !!
आइना कुछ ऐसा भी
एक आइना कुछ ऐसा भी बना दे ऐ खुदा
जो चेहरा नही नियत दिखा दे…
वो एक रात जला……
वो एक रात जला……. तो उसे चिराग कह दिया !!!
हम बरसो से जल रहे है ! कोई तो खिताब दो .!!!
बहते पानी की तरह
बहते पानी की तरह है फितरत- ए-इश्क,
रुकता नहीं,थकता नहीं,थमता नहीं, मिलता नहीं…
सिर्फ नाम लिख देने से
सिर्फ नाम लिख देने से शायरी अपनी नहीं हो जाती,
दिल तुड़वाना पड़ता है कुछ दिल से लिखने के लिये !!
छत कहाँ थी
छत कहाँ थी नशीब में, फुटपाथ को जागीर समझ बैठे।
गीले चावल में शक्कर क्या गिरी ,बच्चे खीर समाज बैठे।
काश तुम कभी ज़ोर से
काश तुम कभी ज़ोर से गले लगाकर।
कहो डरते क्यों हो पागल।
मैं तुम्हारी तो हु।
मुझे मेरे अंदाज मे
मुझे मेरे अंदाज मे ही चाहत बयान करने दे….
बड़ी तकलीफ़ से गुजरोगे जब …..
तुझे तेरे अंदाज़ में चाहेंगे……
इस तरह तुमने
इस तरह तुमने मुझे छोड़ दिया
जैसे रास्ता कोई गुनाह का हो..