मुकद्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो,
देर से क़िस्मत खुलने वालों का दुगुना फ़ायदा हो।
Category: लव शायरी
आज फिर रात
आज फिर रात बड़ी नम सी है
आज तुम याद फिर बहुत आए|
तेरी तरफ जो
तेरी तरफ जो नजर उठी
वो तापिशे हुस्न से जल गयी
तुझे देख सकता नहीं कोई
तेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं|
वो ढूंढते रहे इधर उधर
वो ढूंढते रहे इधर उधर शायद उन्हें हमारी तलाश थी
पर अफ़सोस जिस जगह पर थे
उनके कदम उसी कब्र में हमारी लाश थी …
ना कोई ख्वाहिश..
ना कोई ख्वाहिश.. …….ना कोई आरजू..
थोड़ी बेमतलब सी है जिंदगी.. फिर भी जीना अच्छा लगता
है..।
कुछ खास जादू नही है
कुछ खास जादू
नही है मेरे पास ,
बस्स बाते मै
दिल से करता हूँ !!
आइना कुछ ऐसा भी
एक आइना कुछ ऐसा भी बना दे ऐ खुदा
जो चेहरा नही नियत दिखा दे…
वो एक रात जला……
वो एक रात जला……. तो उसे चिराग कह दिया !!!
हम बरसो से जल रहे है ! कोई तो खिताब दो .!!!
सिर्फ नाम लिख देने से
सिर्फ नाम लिख देने से शायरी अपनी नहीं हो जाती,
दिल तुड़वाना पड़ता है कुछ दिल से लिखने के लिये !!
हर धड़कते पत्थर को
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में…