मेरी
आँखों का तेरी यादों से कोई ताल्लुक़ तो है,
तसवुर में जब भी आते
हो…चेहरा खिल सा जाता है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी
आँखों का तेरी यादों से कोई ताल्लुक़ तो है,
तसवुर में जब भी आते
हो…चेहरा खिल सा जाता है…
बैठे थे अपनी मस्ती में के अचानक तड़प उठे,
आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया….
किसी ने
ज़हर कहा है किसी ने शहद कहा
कोई समझ नहीं पाता है ज़ायका
मोहब्बत का
करें किसका एतबार यहाँ, सब अदाकार ही तो हैं…
और गिल़ा भी किससे करें, सब अपने यार ही तो है ।
ये मोहब्बत की राहें भी अजीब होती है,,
एक रास्ता भटक जाए तो दुसरे की मंजिल खो जाती है
Chand Se Faryad To Karta Hoga
ღWo Mujhe Zyada Nahi Par Yaad To Karta Hoga.
सोचता हू तेरी तारीफ में कुछ लिखु….
फिर खयाल आया की कही पढने वाला भी
तेरा दिवाना ना हो जाए….!!
मेरी गली के बच्चे बहुत शरारती हैँ,
आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये…….
मोहब्बत किससे और कब हो जाये अदांजा नहीं होता..!
ये वो घर है, जिसका दरवाजा नहीं होता.
कोई मुझ से पूछ बैठा
‘बदलना’ किस को कहते हैं?
सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ?
“मौसम” की या “अपनों” की